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हमें अब हिज्र उस का खल रहा है क्या किया जाए
हमें अब हिज्र उस का खल रहा है क्या किया जाए ...
तुम्हें ये ग़म है कि अब चिट्ठियाँ नहीं आतीं
तुम्हें ये ग़म है कि अब चिट्ठियाँ नहीं आतीं
कोई ख़त-वत नहीं फाड़ा कोई तोहफ़ा नहीं तोड़ा
कोई ख़त-वत नहीं फाड़ा कोई तोहफ़ा नहीं तोड़ा