गिर्या-ओ-ज़ारी का सामान उठा लेते हैं
By hamza-bilalFebruary 26, 2024
गिर्या-ओ-ज़ारी का सामान उठा लेते हैं
हिज्र में 'मीर' का दीवान उठा लेते हैं
कोई लैला भी नहीं अपनी कहानी में मगर
सर पे हम दश्त-ओ-बयाबान उठा लेते हैं
हम को तलवार से रग़बत तो नहीं है साईं
हाँ मगर हो के परेशान उठा लेते हैं
ऐसे ताजिर कि जिन्हें सूद गवारा हो फ़क़त
राह-ए-उल्फ़त में वो नुक़्सान उठा लेते हैं
मैं मुख़ातिब हूँ किसी और मुनाफ़िक़ से मियाँ
आप क्यों हाथ में क़ुरआन उठा लेते हैं
बे-झिझक आप मोहब्बत को जताया कीजे
हम हसीनों के तो एहसान उठा लेते हैं
हिज्र में 'मीर' का दीवान उठा लेते हैं
कोई लैला भी नहीं अपनी कहानी में मगर
सर पे हम दश्त-ओ-बयाबान उठा लेते हैं
हम को तलवार से रग़बत तो नहीं है साईं
हाँ मगर हो के परेशान उठा लेते हैं
ऐसे ताजिर कि जिन्हें सूद गवारा हो फ़क़त
राह-ए-उल्फ़त में वो नुक़्सान उठा लेते हैं
मैं मुख़ातिब हूँ किसी और मुनाफ़िक़ से मियाँ
आप क्यों हाथ में क़ुरआन उठा लेते हैं
बे-झिझक आप मोहब्बत को जताया कीजे
हम हसीनों के तो एहसान उठा लेते हैं
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