मौत मेरा इक ज़रा सा काम कर
By farhat-ehsasFebruary 26, 2024
मौत मेरा इक ज़रा सा काम कर
ज़िंदगी की धूप में कुछ शाम कर
ले ये चादर ख़ुदकुशी की ख़ुद पे डाल
ज़िंदगी कुछ दिन ज़रा आराम कर
ले के आता हूँ मैं अपनी वह्य-ए-जिस्म
तू फ़राहम रूह का इल्हाम कर
रुख़ तरक़्क़ी का पलट दे मेरे जिस्म
वर्ना मर जाएगा ख़ुद को ख़ाम कर
जिस्म फिर ख़ुद ही क़लंदर बन गया
रूह के दामन को कुछ दिन थाम कर
धज्जियाँ कर जा के का'बे का ग़िलाफ़
धज्जियों को जामा-ए-एहराम कर
'फ़रहत-एहसास' अपनी तेग़-ए-अम्न से
फ़रहतुल्लाहों का क़त्ल-ए-'आम कर
ज़िंदगी की धूप में कुछ शाम कर
ले ये चादर ख़ुदकुशी की ख़ुद पे डाल
ज़िंदगी कुछ दिन ज़रा आराम कर
ले के आता हूँ मैं अपनी वह्य-ए-जिस्म
तू फ़राहम रूह का इल्हाम कर
रुख़ तरक़्क़ी का पलट दे मेरे जिस्म
वर्ना मर जाएगा ख़ुद को ख़ाम कर
जिस्म फिर ख़ुद ही क़लंदर बन गया
रूह के दामन को कुछ दिन थाम कर
धज्जियाँ कर जा के का'बे का ग़िलाफ़
धज्जियों को जामा-ए-एहराम कर
'फ़रहत-एहसास' अपनी तेग़-ए-अम्न से
फ़रहतुल्लाहों का क़त्ल-ए-'आम कर
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