तुम सोने चाँदी की कान और लोहा-लक्कड़ हम
By farhat-ehsasFebruary 26, 2024
तुम सोने चाँदी की कान और लोहा-लक्कड़ हम
तुम वज्ह-ए-आराइश-ए-दुनिया अंगड़-बंगड़ हम
तुम निकलो तो फूल खिलें हम निकलें तो मुरझाएँ
तुम बाग़ों की बाद-ए-बहारी लू के झक्कड़ हम
बाग़-ए-बहिश्त को ठोकर मारी 'इश्क़ किया भरपूर
हव्वा देख वही तेरे कल वाले फक्कड़ हम
हम हैं कहाँ के क्यों आए हैं करना है क्या काम
दुनिया के बाज़ार में गुमसुम महा-भुलक्कड़ हम
होश में आने मत देना वर्ना मर जाएँगे
तुम नश्शे का सर-चश्मा और एक पियक्कड़ हम
ये 'एहसास' मियाँ अन्दर से बिल्कुल बच्चे हैं
साथ में उन के खेल रहे हैं अक्कड़-बक्कड़ हम
तुम वज्ह-ए-आराइश-ए-दुनिया अंगड़-बंगड़ हम
तुम निकलो तो फूल खिलें हम निकलें तो मुरझाएँ
तुम बाग़ों की बाद-ए-बहारी लू के झक्कड़ हम
बाग़-ए-बहिश्त को ठोकर मारी 'इश्क़ किया भरपूर
हव्वा देख वही तेरे कल वाले फक्कड़ हम
हम हैं कहाँ के क्यों आए हैं करना है क्या काम
दुनिया के बाज़ार में गुमसुम महा-भुलक्कड़ हम
होश में आने मत देना वर्ना मर जाएँगे
तुम नश्शे का सर-चश्मा और एक पियक्कड़ हम
ये 'एहसास' मियाँ अन्दर से बिल्कुल बच्चे हैं
साथ में उन के खेल रहे हैं अक्कड़-बक्कड़ हम
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