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नज़र के ज़ाविए अक्सर मिला के देखे हैं
नज़र के ज़ाविए अक्सर मिला के देखे हैं ...
हम ज़ीस्त 'ऐन-ए-मर्ज़ी-ए-यज़्दाँ न कर सके
हम ज़ीस्त 'ऐन-ए-मर्ज़ी-ए-यज़्दाँ न कर सके ...
फ़ितरतन अपने ही 'आलम से थी घबराई हुई
फ़ितरतन अपने ही 'आलम से थी घबराई हुई ...