पहुँचा इसी बहाने मिरा फ़न कमाल को
By qamar-malalFebruary 28, 2024
पहुँचा इसी बहाने मिरा फ़न कमाल को
उर्दू सिखा रहा था मैं इक ख़ुश-जमाल को
उस का सुराग़ मिल नहीं पाया कि बारहा
देखा तलाश कर के दिल-ए-यर्ग़माल को
खुर्चूँगा अपने दिल से तिरा एक एक नक़्श
झटकूँगा ज़ेहन से मैं तिरे हर ख़याल को
हम को अमर रखेगी हमारी सुख़नवरी
तरसेगा ये ज़माना हमारे ज़वाल को
दफ़्तर हो क़ुर्ब-ए-दोस्त हो या महफ़िल-ए-सुख़न
तन्हा हर एक बज़्म में पाया 'मलाल' को
उर्दू सिखा रहा था मैं इक ख़ुश-जमाल को
उस का सुराग़ मिल नहीं पाया कि बारहा
देखा तलाश कर के दिल-ए-यर्ग़माल को
खुर्चूँगा अपने दिल से तिरा एक एक नक़्श
झटकूँगा ज़ेहन से मैं तिरे हर ख़याल को
हम को अमर रखेगी हमारी सुख़नवरी
तरसेगा ये ज़माना हमारे ज़वाल को
दफ़्तर हो क़ुर्ब-ए-दोस्त हो या महफ़िल-ए-सुख़न
तन्हा हर एक बज़्म में पाया 'मलाल' को
82361 viewsghazal • Hindi