मैं ग़म की कहानी सुनाता रहूँगा

By rana-khalid-mahmood-qaiserFebruary 28, 2024
मैं ग़म की कहानी सुनाता रहूँगा
तुम्हें हाल दिल का बताता रहूँगा
जहाँ देख कर मुझ को तुम हँस पड़ोगे
वहीं पर मैं आँसू बहाता रहूँगा


निगाहें मिलाएँ कि वो दूर जाएँ
शु'ऊर-ए-तमन्ना जगाता रहूँगा
जफ़ाओं की पुर-पेच राहों में हर दम
वफ़ा का ख़ज़ाना लुटाता रहूँगा


नए रास्तों और नए ज़ावियों में
नुक़ूश-ए-कुहन मैं मिटाता रहूँगा
कहाँ तक छुपाऊँगा दिल उस से अपना
कहाँ तक मोहब्बत छुपाता रहूँगा


शब-ए-ग़म फ़लक पर मोहब्बत के 'क़ैसर'
अभी और मैं जगमगाता रहूँगा
43901 viewsghazalHindi