चमन में सबा के गुज़रने का ग़म है
By rana-khalid-mahmood-qaiserFebruary 28, 2024
चमन में सबा के गुज़रने का ग़म है
मुझे तेरी ज़ुल्फ़ें बिखरने का ग़म है
जिसे आरज़ू कह रहा है ज़माना
मुझे उस कली के बिखरने का ग़म है
मुझे ग़म नहीं डूब जाने का अपने
मगर सर से पानी गुज़रने का ग़म है
हज़ारों हैं बातें मगर फिर तुम्हारा
कोई बात कह कर मुकरने का ग़म है
तुम्हें नाज़ ज़ब्त-ए-अलम पर है 'क़ैसर'
मुझे अश्क आँखों में भरने का ग़म है
मुझे तेरी ज़ुल्फ़ें बिखरने का ग़म है
जिसे आरज़ू कह रहा है ज़माना
मुझे उस कली के बिखरने का ग़म है
मुझे ग़म नहीं डूब जाने का अपने
मगर सर से पानी गुज़रने का ग़म है
हज़ारों हैं बातें मगर फिर तुम्हारा
कोई बात कह कर मुकरने का ग़म है
तुम्हें नाज़ ज़ब्त-ए-अलम पर है 'क़ैसर'
मुझे अश्क आँखों में भरने का ग़म है
15466 viewsghazal • Hindi