अपनों के साथ जब कोई होता है हादिसा

By qamar-malalFebruary 28, 2024
अपनों के साथ जब कोई होता है हादिसा
सीने में नोक-ए-तीर चुभोता है हादिसा
ताज़ा लहू से करता है पोशाक पहले तर
आँचल फिर आँसुओं से भिगोता है हादिसा


उस की बस इक हुनर में महारत है बे-मिसाल
दुख की लड़ी में अश्क पिरोता है हादिसा
बे-एहतियाती करती है ख़ूब उस की परवरिश
ग़फ़लत की नर्म गोद में सोता है हादिसा


बार-ए-ग़म-ए-अजल से हों जब लोग ना-तवाँ
लाशों का बोझ आप ही ढोता है हादिसा
कोई 'क़मर-मलाल' नई बात तो नहीं
ख़ूनी सड़क पे रोज़ ही होता है हादिसा


45134 viewsghazalHindi