सभी हिंदी शायरी

ध्यान हालाँकि उस का घड़ी भर गया

ध्यान हालाँकि उस का घड़ी भर गया ...

nand-kishore-anhad

अफ़्सुर्दगी निकले न जब अफ़्सुर्दा दिलों से

अफ़्सुर्दगी निकले न जब अफ़्सुर्दा दिलों से ...

nand-kishore-anhad

बुलंदी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है

बुलंदी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है

munawwar-rana

बुलंदी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है

बुलंदी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है ...

munawwar-rana

ज़र्द मौसम की अज़िय्यत भी उठाने का नहीं

ज़र्द मौसम की अज़िय्यत भी उठाने का नहीं ...

mubashshir-saeed

यूँ भी छुपता है भला वज्द में आया हुआ रंग

यूँ भी छुपता है भला वज्द में आया हुआ रंग ...

mubashshir-saeed

मैं तो बैठा था हर इक शय से किनारा कर के

मैं तो बैठा था हर इक शय से किनारा कर के ...

mubashshir-saeed

ख़्वाब-ज़दा वीरानों तक

ख़्वाब-ज़दा वीरानों तक ...

mubashshir-saeed

जो रंग-हा-ए-रुख़-ए-दोस्ताँ समझते थे

जो रंग-हा-ए-रुख़-ए-दोस्ताँ समझते थे ...

mubashshir-saeed

हिज्र की रुत का तरफ़-दार भी हो सकता है

हिज्र की रुत का तरफ़-दार भी हो सकता है ...

mubashshir-saeed

आ देख मिरी आँखों में इक बार मिरे यार

आ देख मिरी आँखों में इक बार मिरे यार ...

mubashshir-saeed

न भूला इज़्तिराब-ए-दम-शुमारी इंतिज़ार अपना

न भूला इज़्तिराब-ए-दम-शुमारी इंतिज़ार अपना ...

mirza-ghalib

बे-दिमाग़-ए-ख़जलत हूँ रश्क-ए-इम्तिहाँ ता-कै

बे-दिमाग़-ए-ख़जलत हूँ रश्क-ए-इम्तिहाँ ता-कै

mirza-ghalib

ज़िंदगी दी है तो जीने का हुनर भी देना

ज़िंदगी दी है तो जीने का हुनर भी देना

meraj-faizabadi

उरूस-उल-बिलाद

एक जज़ीरा ज़मीं के सीने पर ...

mehr-husain-naqvi

ख़ुश्बू

किसी एहसास को बेदार करती दिल-नशीं ख़ुशबू ...

mehr-husain-naqvi

इल्हाम

जैसे पलकों पे उतरता हुआ इक ख़्वाब-ए-हसीं ...

mehr-husain-naqvi

चौदहवीं का चाँद

ख़याल-ओ-फ़िक्र के बिखरे हुए हवालों में ...

mehr-husain-naqvi

ज़मीन और सुरज

बताते हैं मिरे अब्बू कि गोल है दुनिया ...

mehdi-pratapgarhi

ये है सब झूट मगर ताज़ा ख़बर

नन्ही सी च्यूँटी ने ललकारा है इक हाथी को ...

mehdi-pratapgarhi
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