हिज्र की रुत का तरफ़-दार भी हो सकता है
By mubashshir-saeedFebruary 27, 2024
हिज्र की रुत का तरफ़-दार भी हो सकता है
दिल ख़सारे से समर-बार भी हो सकता है
क्या ज़रूरी है फ़क़त दश्त में वहशत हो मियाँ
ये तमाशा सर-ए-बाज़ार भी हो सकता है
दुख परिंदों की तरह शोर मचा सकते हैं
हिज्र पेड़ों पे नुमूदार भी हो सकता है
मेरी हर रात को फ़िरदौस बनाने वाले
दिल तिरे ख़्वाब से बेदार भी हो सकता है
ये ज़रूरी तो नहीं सामने खुल कर आए
मेरा दुश्मन पस-ए-दीवार भी हो सकता है
दिल ख़सारे से समर-बार भी हो सकता है
क्या ज़रूरी है फ़क़त दश्त में वहशत हो मियाँ
ये तमाशा सर-ए-बाज़ार भी हो सकता है
दुख परिंदों की तरह शोर मचा सकते हैं
हिज्र पेड़ों पे नुमूदार भी हो सकता है
मेरी हर रात को फ़िरदौस बनाने वाले
दिल तिरे ख़्वाब से बेदार भी हो सकता है
ये ज़रूरी तो नहीं सामने खुल कर आए
मेरा दुश्मन पस-ए-दीवार भी हो सकता है
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