यूँ भी छुपता है भला वज्द में आया हुआ रंग

By mubashshir-saeedFebruary 27, 2024
यूँ भी छुपता है भला वज्द में आया हुआ रंग
सब को दिखने लगा एहसास पे छाया हुआ रंग
क़ीमती शय की तरह मैं ने सँभाला हुआ है
तेरी पोशाक के रंगों से चुराया हुआ रंग


या'नी फिर मेरे मुक़द्दर में वो सा'अत आई
पहना है यार ने अब मेरा बताया हुआ रंग
रक़्स करती हुई बल खाती हुई डाली पर
आँख ने देखा है शबनम में नहाया हुआ रंग


सुरमई शाम ढली बाग़ में ख़ुशबू उतरी
याद आया तिरी क़ुर्बत का भुलाया हुआ रंग
ज़र्द लम्हों में अगर लफ़्ज़-ए-ख़मोशी ओढें
हाल कहता है मिरी आँख में आया हुआ रंग


इतनी तौक़ीर जो मेरी है ज़माने में 'स’ईद'
रंग है मुझ पे ये मुर्शिद का चढ़ाया हुआ रंग
35693 viewsghazalHindi