बुलंदी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है
By munawwar-ranaFebruary 27, 2024
बुलंदी देर तक किस शख़्स के हिस्से में रहती है
बहुत ऊँची 'इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है
बहुत जी चाहता है क़ैद-ए-जाँ से हम निकल जाएँ
तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है
ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सज्दे में रहती है
अमीरी रेशम-ओ-कम-ख़्वाब में नंगी नज़र आई
ग़रीबी शान से इक टाट के पर्दे में रहती है
मैं इंसाँ हूँ बहक जाना मिरी फ़ितरत में शामिल है
हवा भी उस को छू कर देर तक नश्शे में रहती है
मोहब्बत में परखने जाँचने से फ़ाएदा क्या है
कमी थोड़ी बहुत हर एक के शजरे में रहती है
ये अपने आप को तक़्सीम कर लेता है सूबों में
ख़राबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है
बहुत ऊँची 'इमारत हर घड़ी ख़तरे में रहती है
बहुत जी चाहता है क़ैद-ए-जाँ से हम निकल जाएँ
तुम्हारी याद भी लेकिन इसी मलबे में रहती है
ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सज्दे में रहती है
अमीरी रेशम-ओ-कम-ख़्वाब में नंगी नज़र आई
ग़रीबी शान से इक टाट के पर्दे में रहती है
मैं इंसाँ हूँ बहक जाना मिरी फ़ितरत में शामिल है
हवा भी उस को छू कर देर तक नश्शे में रहती है
मोहब्बत में परखने जाँचने से फ़ाएदा क्या है
कमी थोड़ी बहुत हर एक के शजरे में रहती है
ये अपने आप को तक़्सीम कर लेता है सूबों में
ख़राबी बस यही हर मुल्क के नक़्शे में रहती है
91077 viewsghazal • Hindi