मैं तो बैठा था हर इक शय से किनारा कर के

By mubashshir-saeedFebruary 27, 2024
मैं तो बैठा था हर इक शय से किनारा कर के
वक़्त ने छोड़ दिया मुझ को तुम्हारा कर के
बात दरिया भी कभी रुक के किया करता था
अब तो हर मौज गुज़रती है इशारा कर के


इक दिया और जलाया है सहर होने तक
शब-ए-हिज्राँ का तिरे नाम सितारा कर के
जब से जागी है तिरे लम्स की ख़्वाहिश दिल में
रहना पड़ता है मुझे ख़ुद से किनारा कर के


दश्त छानेगा तिरी ख़ाक-ए-मुहब्बत से 'स'ईद'
'इश्क़ देखेगा तुझे सारे का सारा कर के
77385 viewsghazalHindi