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न मुझ को चैन आवे है न मुझ को नींद ही आवे

न मुझ को चैन आवे है न मुझ को नींद ही आवे ...

aftab-shah

मिरे हिज्र का तू 'इलाज कर कोई हल बता मिरे साइयाँ

मिरे हिज्र का तू 'इलाज कर कोई हल बता मिरे साइयाँ ...

aftab-shah

मिरे हमनशीं ये मलाल है मिरी ज़िंदगी कहीं खो गई

मिरे हमनशीं ये मलाल है मिरी ज़िंदगी कहीं खो गई ...

aftab-shah

मैं ज़िंदगी के सितम को रिवाज कह न सका

मैं ज़िंदगी के सितम को रिवाज कह न सका ...

aftab-shah

गुज़रे मौसम का चलन दिल से मिरे गोया है

गुज़रे मौसम का चलन दिल से मिरे गोया है ...

aftab-shah

बे-सदा से शहर में कुछ लोग तन्हा रह गए

बे-सदा से शहर में कुछ लोग तन्हा रह गए ...

aftab-shah

वहशियों को ये सबक़ देती हुई आई बहार

वहशियों को ये सबक़ देती हुई आई बहार

abr-ahsani-ganauri

तुम क्यों उदास हो गए मैदान-ए-हश्र में

तुम क्यों उदास हो गए मैदान-ए-हश्र में

abr-ahsani-ganauri

शायद इस बात पे लब मेरे सिए जाते हैं

शायद इस बात पे लब मेरे सिए जाते हैं

abr-ahsani-ganauri

पलट आता हूँ मैं मायूस हो कर उन मक़ामों से

पलट आता हूँ मैं मायूस हो कर उन मक़ामों से

abr-ahsani-ganauri

कौन अब कश्मकश-ए-ज़ीस्त से दे मुझ को नजात

कौन अब कश्मकश-ए-ज़ीस्त से दे मुझ को नजात

abr-ahsani-ganauri

इश्क़ में और भी दीवाना बना देती है

इश्क़ में और भी दीवाना बना देती है

abr-ahsani-ganauri

आँखों में अश्क दाग़ जिगर में लबों पे आह

आँखों में अश्क दाग़ जिगर में लबों पे आह

abr-ahsani-ganauri

दिल-ए-शिकस्ता को रंगों से फिर सजाता नूर

दिल-ए-शिकस्ता को रंगों से फिर सजाता नूर ...

ajmal-siddiqui

ये क्या कि एक ताल पे दुनिया है महव-ए-रक़्स

ये क्या कि एक ताल पे दुनिया है महव-ए-रक़्स

ahmar-nadeem

ये कैसी फ़साहत कि समझ में नहीं आती

ये कैसी फ़साहत कि समझ में नहीं आती

ahmar-nadeem

तुम ने चुनी है राह जो हमवार है बहुत

तुम ने चुनी है राह जो हमवार है बहुत

ahmar-nadeem

तेरी ख़्वाहिश भी न हो तुझ से शिकायत भी न हो

तेरी ख़्वाहिश भी न हो तुझ से शिकायत भी न हो

ahmar-nadeem

शायद मैं अपने आप से ग़ाफ़िल न रह सका

शायद मैं अपने आप से ग़ाफ़िल न रह सका

ahmar-nadeem

क़ाफ़िले में हर इक फ़र्द मुख़्तार है

क़ाफ़िले में हर इक फ़र्द मुख़्तार है

ahmar-nadeem
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