अभी ज़मीन को हफ़्त आसमाँ बनाना है ...
सब के होते हुए इक रोज़ वो तन्हा होगा
क्या कहेगा कभी मिलने भी अगर आएगा वो
किसी के हिज्र में जीना मुहाल हो गया है ...
तिरी तस्वीर कहती है ...
रिक्शे वाले रिक्शे वाले ...
तुम्हें देखता हूँ ...
इसी इक सोच में गुम था ...
नन्हा-मुन्ना प्यारा प्यारा मेरा छोटा भाई है ...
क्यों समझते हो तुम मुझे गुड़िया ...
कभी सोचा है तुम ने ...
इक लड़की ...
मुझे हैरत है कैसे जी रहा हूँ ...
उन की क़िस्मत सँवारता हूँ मैं ...
रह रह के मुझे इतना सताती है उदासी ...
कभी मैं चलूँ कभी तू चले कभी बे-मज़ा ये सफ़र न हो ...
बे-नफ़स और बे-सदा चेहरा ...
बह गया उस का भी लहू शायद ...
हैरत से जो यूँ मेरी तरफ़ देख रहे हो
न सबात है न दवाम है ...