ये एक काम बचा था सो वो भी करने लगे
By ahmar-nadeemNovember 10, 2024
ये एक काम बचा था सो वो भी करने लगे
नफ़स नफ़स में उदासी के जाम भरने लगे
अभी तो इन को मुरत्तब ही कर रहे थे हम
ख़याल सफ़हा-ए-क़िर्तास पर बिखरने लगे
सितम-ज़रीफ़ी-ए-दौराँ भी रास आने लगी
ये किस की ज़ुल्फ़ के साए में हम सँवरने लगे
उदास नस्लों को दरकार है इक और सफ़र
रुख़-ए-सहर पे शबों के नुक़ूश उभरने लगे
मुसाफ़िरान-ए-तग़य्युर हैं कैसे सादा मिज़ाज
हयात-ए-नौ की बशारत पे कान धरने लगे
बस इतना क़िस्सा है आँखों में ख़्वाब आने का
उठे सँभल के चले और फिर ठहरने लगे
नफ़स नफ़स में उदासी के जाम भरने लगे
अभी तो इन को मुरत्तब ही कर रहे थे हम
ख़याल सफ़हा-ए-क़िर्तास पर बिखरने लगे
सितम-ज़रीफ़ी-ए-दौराँ भी रास आने लगी
ये किस की ज़ुल्फ़ के साए में हम सँवरने लगे
उदास नस्लों को दरकार है इक और सफ़र
रुख़-ए-सहर पे शबों के नुक़ूश उभरने लगे
मुसाफ़िरान-ए-तग़य्युर हैं कैसे सादा मिज़ाज
हयात-ए-नौ की बशारत पे कान धरने लगे
बस इतना क़िस्सा है आँखों में ख़्वाब आने का
उठे सँभल के चले और फिर ठहरने लगे
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