तिरे एहसास को छू कर लगा है
By adeeb-damohiOctober 31, 2024
तिरे एहसास को छू कर लगा है
तू मेरे पास है अक्सर लगा है
हवाएँ तक मो'अत्तर हैं वहाँ की
जहाँ भी 'इश्क़ का मिम्बर लगा है
क़रार आएगा मेरे जिस्म को अब
मिरा काँटों-भरा बिस्तर लगा है
मिटा डाला ख़ुद अपने आप को तब
मोहब्बत में मिरा नंबर लगा है
अहाता कर नहीं पाया मैं उस का
वो मेरी सोच के बाहर लगा है
दु'आएँ बाँटता है हर किसी को
शहंशाहों से वो बढ़ कर लगा है
'अदीब' आ जाए न ख़ुशियों का सूरज
शब-ए-ग़म को इसी का डर लगा है
तू मेरे पास है अक्सर लगा है
हवाएँ तक मो'अत्तर हैं वहाँ की
जहाँ भी 'इश्क़ का मिम्बर लगा है
क़रार आएगा मेरे जिस्म को अब
मिरा काँटों-भरा बिस्तर लगा है
मिटा डाला ख़ुद अपने आप को तब
मोहब्बत में मिरा नंबर लगा है
अहाता कर नहीं पाया मैं उस का
वो मेरी सोच के बाहर लगा है
दु'आएँ बाँटता है हर किसी को
शहंशाहों से वो बढ़ कर लगा है
'अदीब' आ जाए न ख़ुशियों का सूरज
शब-ए-ग़म को इसी का डर लगा है
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