न रंज-ए-हिजरत था और न शौक़-ए-सफ़र था दिल मेंBy jamal-ehsaniFebruary 26, 2024न रंज-ए-हिजरत था और न शौक़-ए-सफ़र था दिल मेंसब अपने अपने गुनाह का बोझ ढो रहे थे84041 viewssher • Hindi03Share