न रंज-ए-हिजरत था और न शौक़-ए-सफ़र था दिल में

By jamal-ehsaniFebruary 26, 2024
न रंज-ए-हिजरत था और न शौक़-ए-सफ़र था दिल में
सब अपने अपने गुनाह का बोझ ढो रहे थे
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