दिन गुज़रते जा रहे हैं और हुजूम-ए-ख़ुश-गुमाँ

By jamal-ehsaniFebruary 26, 2024
दिन गुज़रते जा रहे हैं और हुजूम-ए-ख़ुश-गुमाँ
मुंतज़िर बैठा है आब ओ ख़ाक से बिछड़ा हुआ
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