चराग़ बुझते चले जा रहे हैं सिलसिला-वार

By jamal-ehsaniFebruary 26, 2024
चराग़ बुझते चले जा रहे हैं सिलसिला-वार
मैं ख़ुद को देख रहा हूँ फ़साना होते हुए
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