वो जिन में तेरी ख़ुशबू बस गई थी

By dr.-yasin-aatirApril 20, 2024
वो जिन में तेरी ख़ुशबू बस गई थी
उन्ही कपड़ों को फिर से धो रहा हूँ
वही छतरी है अब भी बारिशों में
वही कम्बल है जिस में सो रहा हूँ


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