बताओ तो सही
By mehdi-pratapgarhiFebruary 27, 2024
आदमी को 'अक़्ल-ओ-‘इल्म-ओ-आगही देता है कौन
चाँद को तारों को आख़िर रौशनी देता है कौन
कौन है जिस ने बिछा रक्खा है ये फ़र्श-ए-ज़मीं
फूल को रंगत फलों को ताज़गी देता है कौन
किस की हिकमत से है आख़िर आसमाँ ठहरा हुआ
ये ज़मीं गर्दिश में है और इक जहाँ फैला हुआ
रिज़्क़ पहुँचाना है किस का फ़ैज़ हर मख़्लूक़ को
किस ने सूरज को ख़ला में छोड़ा है जलता हुआ
चाँद को तारों को आख़िर रौशनी देता है कौन
कौन है जिस ने बिछा रक्खा है ये फ़र्श-ए-ज़मीं
फूल को रंगत फलों को ताज़गी देता है कौन
किस की हिकमत से है आख़िर आसमाँ ठहरा हुआ
ये ज़मीं गर्दिश में है और इक जहाँ फैला हुआ
रिज़्क़ पहुँचाना है किस का फ़ैज़ हर मख़्लूक़ को
किस ने सूरज को ख़ला में छोड़ा है जलता हुआ
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