ज़िंदगी में रंग भर के मर गए

By irfan-aazmiFebruary 6, 2024
ज़िंदगी में रंग भर के मर गए
जिन को जीना था वो पहले मर गए
मरने वाला हँसते हँसते मर गया
जीने वाले रोते रोते मर गए


आसमाँ से गिर के पाई ज़िंदगी
आप की नज़रों से गिर के मर गए
सब को मरना है बहर-सूरत मगर
पूछते हैं लोग कैसे मर गए


ज़िंदगी सब से बड़ा इन'आम है
कहने वाले ज़हर खा के मर गए
मर गए बिस्तर पे जो ज़िंदा रहे
जी गए जो चलते-फिरते मर गए


इतने बुज़दिल हो गए सब मेरे बा'द
सूर की आवाज़ सुन के मर गए
क्या करूँ अब एक हिस्से पर ग़ुरूर
ज़िंदगी के तीन हिस्से मर गए


मौत ने 'इरफ़ाँ' हमें मारा नहीं
ज़िंदगी से लड़ते लड़ते मर गए
35180 viewsghazalHindi