ज़रा सा हो मयस्सर वो जो मुझ को

By nomaan-shauqueFebruary 28, 2024
ज़रा सा हो मयस्सर वो जो मुझ को
ज़रा सा आए चैन आए तो मुझ को
मैं शाह-ए-'इश्क़ का संदूक़चा हूँ
कभी फ़ुर्सत मिले तो खोलो मुझ को


सर-ए-साहिल मिरी जुरअत रक़म है
यहाँ तो कम से कम अब मत रो मुझ को
अगरचे ट्रेन आनी थी तुम्हारी
कहे जाता था मैं ही रोको मुझ को


कोई तो राज़ अपना खोलो मुझ पर
कभी तो प्यार से कुछ कह दो मुझ को
90963 viewsghazalHindi