ये माना हम ने ये दुनिया अनोखी है निराली है

By khalilur-rahman-azmiFebruary 27, 2024
ये माना हम ने ये दुनिया अनोखी है निराली है
चलेगी चाल क्या हम से हमारी देखी-भाली है
'अज़ीज़ो तुम को मेरी चश्म-ए-तर से कितना शिकवा था
चलो अब ख़ुश रहो अपना ये पैमाना भी ख़ाली है


हर इक ग़म का मुदावा एक बे-मा'नी तबस्सुम है
मिरे दिल का भरोसा क्या बहुत ही ला-उबाली है
कहीं महफ़िल जमाएँ हम भी अब पीने-पिलाने की
ये क्या कम है हमारे पास जो जाम-ए-सिफ़ाली है


जो कुछ अहवाल है अपना बयाँ करने से क्या हासिल
ज़बान-ए-ख़ामुशी साहब-दिलों का तर्ज़-ए-'आली है
42909 viewsghazalHindi