ये 'इबादत है अलग 'इश्क़ के मे'यार अलग
By farooq-noorFebruary 6, 2024
ये 'इबादत है अलग 'इश्क़ के मे'यार अलग
तेरे दीवाने अलग तेरे परस्तार अलग
उस के दीदार से भरता ही नहीं दिल अपना
जब भी देखो उसे लगता है वो हर बार अलग
जिस में आई थी ख़बर आप के लौट आने की
मैं ने रक्खा है अभी तक के वो अख़बार अलग
इक ज़रा बात पे रिश्तों के भरम टूट गए
हो गए दर भी अलग हो गई दीवार अलग
दिल की बेचैनी को आराम न मिल पाया कहीं
हो के उस यार से देखा है कई बार अलग
हम भी यूसुफ़ थे तो कम दाम में बिकते कैसे
अपना बाज़ार अलग अपने ख़रीदार अलग
तेरे दीवाने अलग तेरे परस्तार अलग
उस के दीदार से भरता ही नहीं दिल अपना
जब भी देखो उसे लगता है वो हर बार अलग
जिस में आई थी ख़बर आप के लौट आने की
मैं ने रक्खा है अभी तक के वो अख़बार अलग
इक ज़रा बात पे रिश्तों के भरम टूट गए
हो गए दर भी अलग हो गई दीवार अलग
दिल की बेचैनी को आराम न मिल पाया कहीं
हो के उस यार से देखा है कई बार अलग
हम भी यूसुफ़ थे तो कम दाम में बिकते कैसे
अपना बाज़ार अलग अपने ख़रीदार अलग
92270 viewsghazal • Hindi