ये अहल-ए-ख़िरद दैर-ओ-हरम देख रहे हैं

By mast-hafiz-rahmaniFebruary 27, 2024
ये अहल-ए-ख़िरद दैर-ओ-हरम देख रहे हैं
जो सब ने न देखा है वो हम देख रहे हैं
हम गेसू-ए-हालात में ख़म देख रहे हैं
तक़दीर में जो कुछ है रक़म देख रहे हैं


ग़म ये तो नहीं है हमें ग़म घेरे हुए हैं
ग़म ये है कि हर आँख को नम देख रहे हैं
तारीक मकानों को ज़िया हम से मिली है
अब तुझ को परेशाँ शब-ए-ग़म देख रहे हैं


हल तो उन्हें करने हैं ये उर्दू के मसाइल
जुमलों में मिरे कितना है दम देख रहे हैं
जिस हाथ को लिखने का सलीक़ा नहीं आया
उस हाथ में सोने की क़लम देख रहे हैं


हासिल है हमें 'मस्त' ये मे'राज-ए-मोहब्बत
हर वक़्त तसव्वुर में हरम देख रहे हैं
44696 viewsghazalHindi