वहशत में क्या शक है जी

By hina-ambareenFebruary 6, 2024
वहशत में क्या शक है जी
हम सों की लेखक है जी
नीचों से रिश्ते जोड़े
नस्लन ही मूरख है जी


इस दिल के आईने में
वो सूरत अब तक है जी
उस के याद आने का वक़्त
सुब्ह से शब नौ तक है जी


आँसू के मोती निकलें
यादों की गुल्लक है जी
चेहरों का उजलापन क्या
मन में तो कालक है जी


रज कर दिल ज़ख़माती है
वो सूरत घातक है जी
हम को प्यार का ग़म सब कुछ
तुम को तो नाटक है जी


आँखें हैं मुद्रा उस की
ग़म उन का गाहक है जी
कानों में आवाज़ उस की
दिल है या धक-धक है जी


फल देखें क्या आता है
मेहनत तो अनथक है जी
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