उस के होंठों के भँवर गहरे क़यामत-ख़ेज़ हैं

By farhat-ehsasFebruary 6, 2024
उस के होंठों के भँवर गहरे क़यामत-ख़ेज़ हैं
उस के बोसों में कहीं भी दूर तक साहिल नहीं
उस से मिलना उस को छूना और मर जाना वहीं
इतना छोटा सा विसाल-ए-यार भी हासिल नहीं


दो बदन थे सो वो अपनी आग का ईंधन हुए
अब हवा कोई हमारे दरमियाँ हाइल नहीं
56447 viewsghazalHindi