तुम्हारी याद में यूँ दिन गुज़ारते हैं हम
By bhagwan-khilnani-saqiFebruary 26, 2024
तुम्हारी याद में यूँ दिन गुज़ारते हैं हम
कि साँस साँस पे तुम को पुकारते हैं हम
हयात-ए-नौ की ग़ज़ल को सँवारना है हमें
तभी तो जज़्बा-ए-दिल को उभारते हैं हम
तुम्हारे प्यार के मक्तूब आज पढ़ पढ़ के
पुराने ज़ख़्मों को फिर से निखारते हैं हम
गुलों से आज भी इतनी मोहब्बतें हैं हमें
ख़िज़ाँ में जा के चमन को सँवारते हैं हम
बड़े ख़ुलूस से सुनते हैं गीत 'साक़ी' के
हर एक लफ़्ज़ को दिल में उतारते हैं हम
कि साँस साँस पे तुम को पुकारते हैं हम
हयात-ए-नौ की ग़ज़ल को सँवारना है हमें
तभी तो जज़्बा-ए-दिल को उभारते हैं हम
तुम्हारे प्यार के मक्तूब आज पढ़ पढ़ के
पुराने ज़ख़्मों को फिर से निखारते हैं हम
गुलों से आज भी इतनी मोहब्बतें हैं हमें
ख़िज़ाँ में जा के चमन को सँवारते हैं हम
बड़े ख़ुलूस से सुनते हैं गीत 'साक़ी' के
हर एक लफ़्ज़ को दिल में उतारते हैं हम
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