तिलिस्म-ए-होश-रुबा है कमाल रखता है
By aarif-akhtar-naqviApril 21, 2024
तिलिस्म-ए-होश-रुबा है कमाल रखता है
बदन से इश्क़ न करना ज़वाल रखता है
कहीं का रहने न देगा हमें ये ज़ेहन-ए-रसा
जवाब जिन के नहीं वो सवाल रखता है
ख़िरद से थक के हम आते हैं दिल के दामन में
ये ग़म-गुसार हमारा ख़याल रखता है
गिरा है अपनी ही नज़रों में जाने कितनी बार
वही जो आज उरूज-ओ-कमाल रखता है
सुबूत-ए-ज़िंदा-दिली है ख़ुदा का शुक्र 'आरिफ़'
ये दिल जो अब भी उमीद-ए-विसाल रखता है
बदन से इश्क़ न करना ज़वाल रखता है
कहीं का रहने न देगा हमें ये ज़ेहन-ए-रसा
जवाब जिन के नहीं वो सवाल रखता है
ख़िरद से थक के हम आते हैं दिल के दामन में
ये ग़म-गुसार हमारा ख़याल रखता है
गिरा है अपनी ही नज़रों में जाने कितनी बार
वही जो आज उरूज-ओ-कमाल रखता है
सुबूत-ए-ज़िंदा-दिली है ख़ुदा का शुक्र 'आरिफ़'
ये दिल जो अब भी उमीद-ए-विसाल रखता है
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