था इंतिज़ार कि अब आएगा नहीं आया
By nand-kishore-anhadFebruary 27, 2024
था इंतिज़ार कि अब आएगा नहीं आया
कहीं वो मोड़ रह-ए-'इश्क़ का नहीं आया
वो लम्हा हाए हमारे क़रीब आने का
क़रीब आ गया था क्या हुआ नहीं आया
जो हाल था मिरा अंजाम जानते थे सभी
सो रिश्ते-दार कोई दूर का नहीं आया
मैं कार-ए-'इश्क़ में माहिर था जो कि था मुश्किल
भुलाना काम था आसान सा नहीं आया
थी और भी कई राहें जो मुझ तक आती थीं
वो और राह पे चलता रहा नहीं आया
न पूछ आँख से क्यों बह रही है रेत मिरे
न पूछ दश्त में मैं आज का नहीं आया
कहीं वो मोड़ रह-ए-'इश्क़ का नहीं आया
वो लम्हा हाए हमारे क़रीब आने का
क़रीब आ गया था क्या हुआ नहीं आया
जो हाल था मिरा अंजाम जानते थे सभी
सो रिश्ते-दार कोई दूर का नहीं आया
मैं कार-ए-'इश्क़ में माहिर था जो कि था मुश्किल
भुलाना काम था आसान सा नहीं आया
थी और भी कई राहें जो मुझ तक आती थीं
वो और राह पे चलता रहा नहीं आया
न पूछ आँख से क्यों बह रही है रेत मिरे
न पूछ दश्त में मैं आज का नहीं आया
28812 viewsghazal • Hindi