तेरे मेरे बीच रही अब पहले जैसी बात कहाँ
By puja-parastishFebruary 28, 2024
तेरे मेरे बीच रही अब पहले जैसी बात कहाँ
पहले से जज़्बात कहाँ पहले जैसे लम्हात कहाँ
याद आता है वो सावन जब हम तुम भीगा करते थे
बारिश अब भी होती है पर होती अब बरसात कहाँ
रातों को पहलू में आ तुम प्यार के नग़्मा गाते थे
सुंदर सुरमई शामों सी अब जानाँ कोई रात कहाँ
गर था वस्ल का दौर कभी तो हिज्र भी होना लाज़िम था
मौसम के भी यकसर रहते इक जैसे हालात कहाँ
पहले से जज़्बात कहाँ पहले जैसे लम्हात कहाँ
याद आता है वो सावन जब हम तुम भीगा करते थे
बारिश अब भी होती है पर होती अब बरसात कहाँ
रातों को पहलू में आ तुम प्यार के नग़्मा गाते थे
सुंदर सुरमई शामों सी अब जानाँ कोई रात कहाँ
गर था वस्ल का दौर कभी तो हिज्र भी होना लाज़िम था
मौसम के भी यकसर रहते इक जैसे हालात कहाँ
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