सियाही में नहा कर सुर्ख़-रू हैं

By nomaan-shauqueFebruary 28, 2024
सियाही में नहा कर सुर्ख़-रू हैं
मज़े में हैं जो अहल-ए-हाओ-हू हैं
न देखा ख़्वाब भी इक ख़्वाब जैसा
ग़रज़ मजबूरियों में बा-वुज़ू हैं


नहीं तफ़्सील का क़ाइल नहीं मैं
यही अश'आर शरह-ए-आरज़ू हैं
नहीं मैं आज अपने आप में भी
वो आईने में किस से रू-ब-रू हैं


ज़मीं वालो ज़रा हुशियार रहना
सभी क़ाबील महव-ए-गुफ़्तुगू हैं
ये मैं हूँ और ये मेरी किताबें
भरी दुनिया में दो ही फ़ालतू हैं


48345 viewsghazalHindi