शाम होते ही ठिकाने पे भी आ सकता है

By aadarsh-dubeyFebruary 25, 2024
शाम होते ही ठिकाने पे भी आ सकता है
दिल परिंदा है निशाने पे भी आ सकता है
जिस को दिन रात मनाने में लगी है दुनिया
वो मेरे एक बुलाने पे भी आ सकता है


दुख तो ये है के मैं जिस दुख में गिरफ़्तार हुआ
वो ही दुख कल को ज़माने पे भी आ सकता है
अब अगर और यूँ ही चलता रहा ये रिश्ता
जीने मरने के दहाने पे भी आ सकता है


87815 viewsghazalHindi