रंज-ओ-ग़म-ए-हयात का 'उनवाँ नहीं हूँ मैं
By betab-amrohviFebruary 26, 2024
रंज-ओ-ग़म-ए-हयात का 'उनवाँ नहीं हूँ मैं
क्या तुम ये कह रहे हो कि इंसाँ नहीं हूँ मैं
शम'-ए-फ़राज़-ए-तूर दरख़्शाँ नहीं तो क्या
लेकिन ग़लत कि ग़ैरत-ए-यज़्दाँ नहीं हूँ मैं
ऐ ख़िज़्र-ए-राह तेरी ज़रूरत नहीं मुझे
ना-वाक़िफ़-ए-तलातुम-ओ-तूफ़ाँ नहीं हूँ मैं
उड़ जाऊँ गर्द-ए-पा की तरह कारवाँ के साथ
इतना सुबुक तो गर्दिश-ए-दौराँ नहीं हूँ मैं
मुझ को भी तेरे प्यार का सौदा तो है मगर
तर-आस्तीन-ओ-चाक-गरेबाँ नहीं हूँ मैं
क्या तुम ये कह रहे हो कि इंसाँ नहीं हूँ मैं
शम'-ए-फ़राज़-ए-तूर दरख़्शाँ नहीं तो क्या
लेकिन ग़लत कि ग़ैरत-ए-यज़्दाँ नहीं हूँ मैं
ऐ ख़िज़्र-ए-राह तेरी ज़रूरत नहीं मुझे
ना-वाक़िफ़-ए-तलातुम-ओ-तूफ़ाँ नहीं हूँ मैं
उड़ जाऊँ गर्द-ए-पा की तरह कारवाँ के साथ
इतना सुबुक तो गर्दिश-ए-दौराँ नहीं हूँ मैं
मुझ को भी तेरे प्यार का सौदा तो है मगर
तर-आस्तीन-ओ-चाक-गरेबाँ नहीं हूँ मैं
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