रात को दरकार था कुछ दास्तानी रंग का

By farhat-ehsasFebruary 6, 2024
रात को दरकार था कुछ दास्तानी रंग का
हम चराग़-ए-ख़ामुशी लाए ज़बानी रंग का
उस ने पेशानी हमें दी है ज़मीनी रंग की
और सज्दा चाहता है आसमानी रंग का


गेहुँवें-पन ने निकलवाया था जन्नत से हमें
जान-ए-मन अब के करेंगे 'इश्क़ धानी रंग का
'इश्क़ ने तो मेरा चेहरा ही बदल कर रख दिया
ऐसा आईना दिखाया उस ने सानी रंग का


हम मोहब्बत करने वालों की ज़िदें भी हैं 'अजीब
चाहिए इक वाक़ि'आ लेकिन कहानी रंग का
शायद अब उक्ता गए सहरा-नवर्दी से ग़ज़ाल
चाहते हैं कोई वीराना मकानी रंग का


'फ़रहत-एहसास' उस की मिट्टी की समा'अत खिल उठी
शे'र जब मैं ने सुनाया तेरा पानी रंग का
32307 viewsghazalHindi