रात आती रहती है दिन निकलता रहता है

By jamal-ehsaniFebruary 26, 2024
रात आती रहती है दिन निकलता रहता है
और ख़ुदा के बंदों का काम चलता रहता है
फिर रहा हूँ बस्ती में ये पता लिए कब से
इक चराग़ उस घर में दिन को जलता रहता है


एक घर है मैं जिस में रहता हूँ ख़ुश-ओ-ख़ुर्रम
एक बात है जिस से दिल दहलता रहता है
मैं भी आसमानों में रोज़ इज़ाफ़ा करता हूँ
वो भी इन ज़मीनों का रुख़ बदलता रहता है


ज़ीस्त की तमाज़त में शाख़-ए-मर्ग से आगे
राह-रौ ठहरता है रस्ता चलता रहता है
'इश्क़ करने वालों को सिर्फ़ ये सुहूलत है
कुछ न करने से भी कुछ दिल बहलता रहता है


मैं बिसात-ए-दुनिया को जब लपेट देता हूँ
कोई दूसरा मुझ में घर बदलता रहता है
58069 viewsghazalHindi