फूल खिलते हैं तो काँटों को हँसी आती है

By bhagwan-khilnani-saqiFebruary 26, 2024
फूल खिलते हैं तो काँटों को हँसी आती है
ऐसे खिलने पे ख़िज़ाओं को हँसी आती है
चाँद को देख के तारों को हँसी आती है
ख़ुद उजालों पे उजालों को हँसी आती है


हैफ़-सद-हैफ़ कि आया है ज़माना कैसा
अब बुज़ुर्गों पे जवानों को हँसी आती है
दूर रहते हैं तो रहते हैं ख़फ़ा हम दोनों
आँख मिलती है तो दोनों को हँसी आती है


पहले हँसते थे तो ख़ुशियों पे हँसा करते थे
अब तो मातम पे भी लोगों को हँसी आती है
ज़िंदगी ऐसी हक़ीक़त है कि जिस पर 'साक़ी'
थोड़े रोते हैं तो थोड़ों को हँसी आती है


48377 viewsghazalHindi