फिर हरा होने की ख़्वाहिश का इरादा सूखे
By kunaal-barkadeFebruary 27, 2024
फिर हरा होने की ख़्वाहिश का इरादा सूखे
क्यों भला सूखा हुआ पेड़ दुबारा सूखे
मेरी चाहत है कि गहराई से निकलें आँसू
मेरी कोशिश है ज़ियादा से ज़ियादा सूखे
वो तुम्हारे लिए इक बात थी पर मेरे लिए
दरिया सूखा है अगर एक भी क़तरा सूखे
चाहिए फूल को इक फूल कोई माली नहीं
हम-सफ़र तो वो है जो साथ इकट्ठा सूखे
मैं नहीं चाहता हूँ अब कि मिरी प्यास मिटे
मैं नहीं चाहता अब प्यास का दरिया सूखे
मत करो ज़िक्र कि बरसात नहीं होती अब
मैं नहीं चाहता तस्वीर में झरना सूखे
क्यों भला सूखा हुआ पेड़ दुबारा सूखे
मेरी चाहत है कि गहराई से निकलें आँसू
मेरी कोशिश है ज़ियादा से ज़ियादा सूखे
वो तुम्हारे लिए इक बात थी पर मेरे लिए
दरिया सूखा है अगर एक भी क़तरा सूखे
चाहिए फूल को इक फूल कोई माली नहीं
हम-सफ़र तो वो है जो साथ इकट्ठा सूखे
मैं नहीं चाहता हूँ अब कि मिरी प्यास मिटे
मैं नहीं चाहता अब प्यास का दरिया सूखे
मत करो ज़िक्र कि बरसात नहीं होती अब
मैं नहीं चाहता तस्वीर में झरना सूखे
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