नन्हे हाथों में कटोरा नहीं देखा जाता

By rizwan-aliFebruary 28, 2024
नन्हे हाथों में कटोरा नहीं देखा जाता
हम से ग़ुर्बत ये तमाशा नहीं देखा जाता
हाकिम-ए-वक़्त बता कैसे गुज़ारें शब-ओ-रोज़
हर तरफ़ ख़ौफ़ का पहरा नहीं देखा जाता


दोस्तों हक़ के लिए हो के अना की ख़ातिर
जंग में अपना पराया नहीं देखा जाता
इस लिए 'इल्म की शम'ओं को जलाते हैं हम
शहर का हम से अंधेरा नहीं देखा जाता


कभी इक डूबने वाले की सुनी थीं चीख़ें
हम से अब जानिब-ए-दरिया नहीं देखा जाता
यक-ब-यक जैसे बदल जाता है मौसम 'रिज़वाँ'
इस तरह उस का बदलना नहीं देखा जाता


52933 viewsghazalHindi