मज़ाक़ मत उड़ाइए लिबास का

By asim-qamarFebruary 25, 2024
मज़ाक़ मत उड़ाइए लिबास का
कभी हमारा खेत था कपास का
गुज़र नहीं सका है सात साल से
वो रास्ता सराए-हौज़-ख़ास का


कहाँ ये ला-शु'ऊर ‘इत्र-वित्र हुँह
मुक़ाबला करे हैं तेरी बास का
सिमटने लग गया हूँ अपने आप में
दबाव बढ़ रहा है आस-पास का


ब-वक़्त-ए-फज्र पाक साफ़ ओस से
वुज़ू करा दिया गया है घास का
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