मलाल सर पे क़यामत उठाने लगता है

By irfan-aazmiFebruary 6, 2024
मलाल सर पे क़यामत उठाने लगता है
वो उठ के जब मिरे पहलू से जाने लगता है
वो दर्द है कि मुदावा नहीं कोई जिस का
वो वक़्त है कि ख़ुदा याद आने लगता है


गुदाज़ दिल है तबी'अत है शबनमी उस की
ज़रा सी बात पर आँसू बहाने लगता है
वही घड़ी है उसे देखने के लाइक़ जब
हथेलियों में वो चेहरा छुपाने लगता है


इसी लिए तो कोई उस का हम-जलीस नहीं
हर एक शख़्स को वो आज़माने लगता है
इसी लिए तो अंधेरा है उस की दुनिया में
चराग़ तेज़ हवा में जलाने लगता है


कहीं ख़ुलूस न पाया इसी लिए शायद
मिरे ख़ुलूस की क़ीमत लगाने लगता है
वहाँ पहुँच के क़दम और जम गए मेरे
जहाँ पहुँच के क़दम डगमगाने लगता है


वफ़ा ख़ुलूस की ता'लीम कौन दे 'इरफ़ान'
ज़रा सी 'उम्र में बच्चा कमाने लगता है
31466 viewsghazalHindi