मैं बिछड़ों को मिलाने जा रहा हूँ
By farhat-ehsasFebruary 6, 2024
मैं बिछड़ों को मिलाने जा रहा हूँ
चलो दीवार ढाने जा रहा हूँ
करोड़ों ख़ुश्क लब हैं साथ मेरे
समुंदर को सुखाने जा रहा हूँ
मुसलसल आँसुओं की फ़ौज ले कर
मैं सूरज को बुझाने जा रहा हूँ
उधर कुछ लोग कब से रो रहे हैं
उन्हें ढारस बँधाने जा रहा हूँ
उधर मरहम लगा कर आ रहा हूँ
इधर मरहम लगाने जा रहा हूँ
ये दुनिया अब किसी क़ाबिल नहीं है
क़यामत को बुलाने जा रहा हूँ
यहाँ मिलना मिलाना कुछ नहीं है
मगर मैं ख़ाक छाने जा रहा हूँ
जिन्हें चेहरा बदलना हो बदल लें
मैं अब पर्दा उठाने जा रहा हूँ
जहाँ जा कर कभी लौटा नहीं मैं
वहीं फिर जा के आने जा रहा हूँ
हुआ सहरा-नशीं फिर 'फ़रहत-एहसास'
उसे वापस बुलाने जा रहा हूँ
चलो दीवार ढाने जा रहा हूँ
करोड़ों ख़ुश्क लब हैं साथ मेरे
समुंदर को सुखाने जा रहा हूँ
मुसलसल आँसुओं की फ़ौज ले कर
मैं सूरज को बुझाने जा रहा हूँ
उधर कुछ लोग कब से रो रहे हैं
उन्हें ढारस बँधाने जा रहा हूँ
उधर मरहम लगा कर आ रहा हूँ
इधर मरहम लगाने जा रहा हूँ
ये दुनिया अब किसी क़ाबिल नहीं है
क़यामत को बुलाने जा रहा हूँ
यहाँ मिलना मिलाना कुछ नहीं है
मगर मैं ख़ाक छाने जा रहा हूँ
जिन्हें चेहरा बदलना हो बदल लें
मैं अब पर्दा उठाने जा रहा हूँ
जहाँ जा कर कभी लौटा नहीं मैं
वहीं फिर जा के आने जा रहा हूँ
हुआ सहरा-नशीं फिर 'फ़रहत-एहसास'
उसे वापस बुलाने जा रहा हूँ
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