लगी जो देर मुझे आप को मनाने में
By shariq-kaifiFebruary 29, 2024
लगी जो देर मुझे आप को मनाने में
झिझक रहा था मैं अपने ख़िलाफ़ जाने में
तमाम 'उम्र यही सोच कर रहा ख़ामोश
लगा है कोई मिरा सब्र आज़माने में
नहीं है यूँ तो किसी काम का दिल-ए-नाकाम
लगा हुआ हूँ इसे काम का बनाने में
वहाँ खुले में न उठता था आसमान का बोझ
यहाँ सुरंग बनाता हूँ क़ैद-ख़ाने में
जो सच कहें तो हमें कोई ग़म नहीं लेकिन
'अजीब सुख है उदासी के गीत गाने में
झिझक रहा था मैं अपने ख़िलाफ़ जाने में
तमाम 'उम्र यही सोच कर रहा ख़ामोश
लगा है कोई मिरा सब्र आज़माने में
नहीं है यूँ तो किसी काम का दिल-ए-नाकाम
लगा हुआ हूँ इसे काम का बनाने में
वहाँ खुले में न उठता था आसमान का बोझ
यहाँ सुरंग बनाता हूँ क़ैद-ख़ाने में
जो सच कहें तो हमें कोई ग़म नहीं लेकिन
'अजीब सुख है उदासी के गीत गाने में
70135 viewsghazal • Hindi