लगा दी आग किसी ने दिल-ओ-जिगर में मिरे

By betab-amrohviFebruary 26, 2024
लगा दी आग किसी ने दिल-ओ-जिगर में मिरे
जला के ख़ाक किया मुझ को आ के घर में मिरे
ये क़तरा क़तरा लहू बन के बह रहा है दिल
है ख़ून-ए-हसरत-ए-नाकाम अश्क-ए-तर में मिरे


हर एक गाम पे मंज़िल हर इक क़दम पे सफ़र
इलाही कितनी मनाज़िल हैं इक सफ़र में मिरे
फ़राज़-ए-हफ़्त-फ़लक मेरे आगे कुछ भी नहीं
अभी है क़ुव्वत-ए-पर्वाज़ बाल-ओ-पर में मिरे


बड़ी तवील है रूदाद-ए-रंज-ओ-ग़म मेरी
कई फ़साने हैं हर लफ़्ज़-ए-मुख़्तसर में मिरे
44200 viewsghazalHindi