कुछ हमें छूट भी मिल जाए ख़ुराफ़ात की अब

By nomaan-shauqueFebruary 28, 2024
कुछ हमें छूट भी मिल जाए ख़ुराफ़ात की अब
हम जो मा'मूर हैं ताईद पे हर बात की अब
अपनी मसरूफ़ियत आप और बढ़ाते जाएँ
हम तो 'अर्ज़ी लिए जाते हैं मुलाक़ात की अब


हिज्र का चाँद ज़रूरत से ज़ियादा रौशन
रौनक़ें ऐसे बढ़ाओगे मिरी रात की अब
नाच कर थक चुके सब तेरे ख़रीदे हुए मोर
झूठ की फ़स्ल को उम्मीद है बरसात की अब


'अद्ल क्या मिलना है कश्कोल बचा रह जाए
सिर्फ़ ज़ंजीर हिलाते रहो ख़ैरात की अब
48054 viewsghazalHindi