किसी से ऐ दिल-ए-नादाँ जो प्यार करना है

By rizwan-aliFebruary 28, 2024
किसी से ऐ दिल-ए-नादाँ जो प्यार करना है
तो ज़ब्त की तुम्हें हर हद को पार करना है
किसी अमीर की उल्फ़त से क्या मिलेगा मुझे
ग़रीब हूँ तो ग़रीबों से प्यार करना है


हर एक दिल में जला दो मोहब्बतों के चराग़
वतन को अपने अगर पुर-बहार करना है
अमीर-ए-शहर बनाता है रोज़ मंसूबे
किसे ज़लील किसे पुर-वक़ार करना है


तमाम शहर के दिल में बसा दे प्यार मिरा
मिरे ख़ुदा जो मुझे ताजदार करना है
लगा रहे हो जो पाबंदियाँ मोहब्बत पर
ये जुर्म है तो हमें बार बार करना है


ज़बाँ से उस की अदा हो जो बात ऐ 'रिज़वाँ'
दुरुस्त हो कि ग़लत ए'तिबार करना है
99583 viewsghazalHindi