ख़्वाब के बीज उन्हें बोने की इजाज़त नहीं है
By ananth-faaniFebruary 25, 2024
ख़्वाब के बीज उन्हें बोने की इजाज़त नहीं है
हैं कुछ आँखें जिन्हें सोने की इजाज़त नहीं है
है परेशान जो दुनिया से ग़ज़ल-गोई करे
किसी को बैठ के रोने की इजाज़त नहीं है
कोई शहर आ के लपेटे में हमें ले लेगा
दश्त हैं हम हमें होने की इजाज़त नहीं है
हम को तो भूल-भुलय्ये में सुहूलत है मगर
उन की सोचो जिन्हें खोने की इजाज़त नहीं है
क्यों न 'फ़ानी' भी करे नज़्म-निगारी का जतन
क्या उसे मोती पिरोने की इजाज़त नहीं है
हैं कुछ आँखें जिन्हें सोने की इजाज़त नहीं है
है परेशान जो दुनिया से ग़ज़ल-गोई करे
किसी को बैठ के रोने की इजाज़त नहीं है
कोई शहर आ के लपेटे में हमें ले लेगा
दश्त हैं हम हमें होने की इजाज़त नहीं है
हम को तो भूल-भुलय्ये में सुहूलत है मगर
उन की सोचो जिन्हें खोने की इजाज़त नहीं है
क्यों न 'फ़ानी' भी करे नज़्म-निगारी का जतन
क्या उसे मोती पिरोने की इजाज़त नहीं है
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